झाझा की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों गंदी राजनीति का शिकार बन गई है।दरअसल एक निजी शिक्षण संस्थान के छात्रों के डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।जिसपर कुछ लोगों ने अपनी रोटी सेंकने का प्रयास किया और विद्यालय के खिलाफ विरोधात्माक पोस्ट भी किया।इधर विद्यालय प्रशासन ने साफ तौर पर कह दिया की वायरल वीडियो विद्यालय प्रांगण से बाहर का है जिसका विद्यालय से कोई लेना देना नही है।हालांकि इस बात को लेकर किसी भी बच्चे के अभिभावक ने कोई भी प्रतिक्रिया प्रकट नहीं की है और न ही समाज के कोई भी बुद्धिजीवी व्यक्ति ने इसपर कोई टिप्पणी की।बावजूद इसके यह बात उन लोगों की पेट में हजम नही हुई जिन्होंने किसी और मकशत से विद्यालय प्रशासन की खिल्ली उड़ानी चाही थी।अब जब इन सोशल पोस्टधारियों की दाल नहीं गली तो इन लोगों ने अभिभावक संघ नाम की दूसरी फर्जी आईडी बना डाला।और उस आईडी से विद्यालय प्रशासन को बदनाम कर अभिभावकों को गुमराह करने की कोशिश करने लगे।परंतु पूर्व में झाझा में अभिभावक संघ की बनाई गई इकाई के सदस्यों ने इसपर कड़ी टिप्पणी करते हुए साफ तौर पर कहा कि अभिभावक संघ किसी भी वस्तु स्थिति में किसी व्यक्ति विशेष अथवा किसी संस्थान को बिना किसी आधार और तथ्य के दोषी करार नही देती है।हालांकि इस मुद्दे को लेकर झाझा की अभिभावक संघ की मुख्य इकाई जिसका गठन कोरोणा काल में किया गया था एवं जिसके अध्यक्ष धर्मदेव यादव,उपाध्यक्ष सोनू बरनवाल एवं बबलू सिन्हा,सचिव मो० समीन,उपसचिव कुणाल टंडेसी और दर्जनों लोग इसके सदस्य हैं।सभी ने कहा कि अभिभावक संघ फेसबुक पर किसने बनाया, कब बनाया इसकी सूचना हम में से किसी को नहीं है।और हम इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे।सवाल यह उठता है कि आखिर जिस वीडियो को लेकर चर्चाएं इतनी जोर है आखिर संस्कारों का हवाला देने वाले लोग उन समिति के सदस्यों पर कार्यवाही की मांग क्यों नही करते जिसने अश्लील गाने बजाकर इस परिस्थिति को उत्पन्न किया।सूत्रों से यह बात भी प्रकाश में आई है कि विरोध करने वालों में वो लोग भी शामिल है जो उस वक्त सरस्वती पूजा समिति के सदस्य थे और जिसने पूजा पंडाल में अश्लील गाने बजाए थे।